आज समाचार-पत्रों में पढ़ा कि सूचना के अधिकार के अंतर्गत
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह गांधीजी को राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं
दे सकती क्यों कि भारत का संविधान अनुच्छेद १८ ऐसे उपाधि कि अनुमति नहीं
देता / अर्थात गांधीजी विधिवत राष्ट्रपिता नहीं हैं /
मुझे यह जानकर संतोष
हुआ कि क़ानूनन कम से कम गांधीजी इस देश के बाप नहीं हैं / निस्संदेह
गांधीजी एक महान मनुष्य थे / ईमानदार, साहसी तथा सत्यप्रिय / लेकिन मनुष्य
होने की कतिपय दुर्बलताएं भी थीं / निष्कर्ष यह कि वे स्वतंत्र भारत के बिस्मार्क नहीं बन सके / इतिहास में कई ऐसे प्रसंग हैं जो मेरे ऐसे विचारों को पुष्ट करते हैं /
कोई भी नागरिक अपने देश का पिता यानि सृजक कैसे हो सकता है ?
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