Thursday, October 24, 2013

राहुल जी ज़रा शहीद सैनिकों के प्रिय-जनों के बारे में भी सोचा करिए

राहुल गाँधी ने कल कहा कि उनकी दादी को मार डाला, (अपने चाचा संजय की हादसे में मौत का ज़िक्र नहीं किया), उनके पिता को मार डाला/ किसी प्रिय-जन से वियोग मार्मिक पीड़ा है/ ३०-३५ सालों बाद एक सियासी जनसभा में भावुक होना उनका अपने परिवार के प्रति लगाव है/ 

 

इंदिराजी ने भिंडरावाले का जिन्न बोतल से निकाला ताकि अकालियों को सत्ता से बाहर रखा जा सके/ यही जिन्न आतंकवाद का ऐसा भीषण रूप हुआ जिसके कारण ऑपरेशन ब्लू-स्टार में फ़ौज के ४०० से अधिक जवान शहीद हो गये क्योंकि उन्हें नियंत्रित शर्तों के मुताबिक मंदिर में आतंकवादियों से निपटने का आदेश था/ और इसी के दुष्परिणाम इंदिराजी की हत्या के रूप में सामने आया/ इसी तरह उनके पिता ने एक अदूरदर्शी शासक का परिचय देते हुए श्रीलंका में लिट्टे के ख़िलाफ अपने सैनिकों को उनके एक हाथ पीठ पीछे बाँध कर लड़ने को भेज दिया: नतीजा लिट्टे के द्वारा उनकी हत्या/ इन अनावश्यक सैन्य-अभियानों  में हताहत सैनिकों के परिवार भी उसी वेदनासे गुज़र रहे हैं/ इन दोनों हत्याओं में कम से कम उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शामिल नही हैं यह तो जग-ज़ाहिर है/ फिर ये विलाप चुनावी मौसम में क्यों?

 

राहुल जी ज़रा उन शहीदों की बेवाओं तथा बच्चों के दुखों के बारे में भी तो ख़याल किया होता/ हर दिन बॉर्डर पर पाकिस्तानी दुश्मनों से लोहा लेते जवानों की फिक्र तो की होती, वे तो कहीं अपनी पीड़ा दुनिया में इज़हार भी नहीं कर सकते/  आतंकवाद से लड़ते पुलिस के जवानों की तो सुध ली होती/ १९८४ के एकतरफ़ा सिख दंगों में ज़िंदा जलाए गये लोगों और उनके आश्रितों के प्रति भी तो भावुक हुए होते जिसमें आपकी पार्टी के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था/ सैनिकों की सिर कटी लाशों पर तो आँसू बहाए होते/

 

आपके परदादा नेहरू जी ने देश के लिए क्या किया यह विवाद का विषय हो सकता है पर उनके कारण सत्ता का सुख लंबे समय तक आपके परिवार ने भोगा है/ देश के विभाजन के ज़िम्मेदार लोग क्या निर्लज्ज नहीं थे जिन्हों ने देश के दो बड़े भूभाग पाकिस्तान को दे दिए/ ये धर्म के आधार पर कैसा बँटवारा था जिसमें २५% हिंदू पूरे पाकिस्तान से, ४८% हिंदू-सिख पाकिस्तानी पंजाब से और ५२% सिख-हिंदू सिर्फ़ बहावलपुर से भगा दिए गये/ लेकिन हमारे देश में आज भी सांप्रदायिकता रह गयी क्यों?

 

राहुल जी हुकूमत अफ़ीम का नशा है क्योंकि इससे पॉवेर, पैसा, शान-शौकत,ऐशोआराम जुड़े हुए हैं/ इसी लिए इसमें ख़तरा भी बहुत है खलज़ी, तुगलक़, मुगलों ने अपने भाई-बेटों रिश्तेदारों के कत्ल इसी हुक़ूमत के लिए कर दिए/

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