मनुष्य ने अपने निर्बंध लोभ के कारण प्रकृति को
विनाश तथा विध्वंश के मार्ग पर चलने को विवश किया हैI भ्रष्ट
सत्ता के संरक्षण में उत्तराखंड के शांत एवं नैसर्गिक वातावरण को अधोगामी विकास के
द्वारा नष्ट-भ्रष्ट किया गया, उसीका परिणाम केदारनाथ की अभूतपूर्व
विनाश-लीला हैI हज़ारों यात्रियों का कारुणिक अंत आधुनिक काल
की सर्वाधिक वीभत्स गाथा हैI इस त्रासदी को ससमय सहायता पहुँचI कर कम किया जा
सकता था लेकिन अक्षम सरकार ने अपने संसाधनों का तत्क्षण तथा प्रभावी तरीके से
उपयोग नहीं कियाI
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