Monday, December 3, 2012

पाकिस्तान के कराची में एक बिल्डर के द्वारा एक प्राचीन हिन्दू मंदिर ध्वस्त

आज कुछ बड़े अख़बारों में पाकिस्तान के कराची में एक बिल्डर के द्वारा एक प्राचीन हिन्दू मंदिर ध्वस्त करने की खबर छपी है / पाकिस्तान में हजारों मंदिर आज़ादी के बाद तोड़ दिए गए / हमारे देश के "धर्म निरपेक्ष " राज नेता जो जिन्नाह के कब्र पर माल्यार्पण करते हैं ऐसे मौकों पर मौन हो जाते हैं / देशद्रोहियों को तो वोट से मतलब है / बहुसंख्यकों के साथ भेद भाव तथा पक्षपातपूर्ण की नीति अन्याय की श्रेणी में नहीं आते / यह लाभ उन्हें इस लिए मिलता है  कि  वे हिन्दू हैं इसलिए वे हिन्दुओं को जम कर गालियाँ देते हैं ताकि अल्पसंख्यकों के वोट लेकर सत्ता में रहें तथा देश को पुरजोर लूटें / जो जितनी गालियाँ दे वह उतना बड़ा सेक्युलरिस्ट है / पाकिस्तान के साथ वीसा शिथिल करने ,उनके भारत में निर्बाध आने , आतंकवाद में शामिल होने तथा आइ एस आइ के एजेंडा को पूरा करने का पूरा अधिकार है। इतना ही नहीं, फिल्मों में तथा गायन में हम उन्हें काम भी देते हैं। ''अमन की आशा'' के सूत्रधारों को कश्मीर में हिन्दुओं पर अत्याचार नज़र नहीं आते। मुंबई हमलों के गुनाहगार हमारे  राजकीय अतिथि हैं। यहाँ पाकिस्तानी आयें लोगों की हत्याएं करें कोई बात नहीं। हम सबूत पर सबूत दें पर पाकिस्तान कोई कार्रवाई न करे कोई बात नहीं। हम तो उन्हें क्रिकेट खेलायेगे ही हमें तो उन्हें मोस्ट फेवर्ड नेशन की फैसिलिटी देनी है। देश का विभाजन धर्म के आधार पर हो जाये कोई बात नहीं। 1946-47 में सिख और हिन्दुओं का पाकिस्तान में बलात्कार , हत्या, पलायन हो जाये कोई बात नहीं/ हम तो देश के विभाजन के दोषी नेताओं को हिरो मानते रहेंगे /अमर शहीद मेजर कालिया तथा उनके साथियों को पाकिस्तान टार्चर करके मार दे कोई बात नहीं। 1948, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों को पाकिस्तान छेड़े कोई बात नहीं। कारगिल में हजारों सैनिक शहीद हो जाएँ कोई बात नहीं। लेकिन हम तो भाई सेक्युलरिस्ट हैं देश को सत्ता में रह कर लूटेंगे नहीं तो कैसे चलेगा। वोट बैंक बना के रखो काम आयेगा देश की अखंडता भाड़ में जाये। गिलानी, मिर्वैज़ सलामत रहें।
बहुसंख्यक समाज को आज सोचना होगा कि कबतक जात पात में विभाजित होकर देशद्रोही राजनेताओं के हाथ हम शोषित होते रहेंगे। इस देश में इस समाज की महती जिम्मेदारी है कि देश सही अर्थों में न्याय तथा विधि का अनुशरण  करे तथा सारे भारतीयों के लिए देश प्रथम हो बाद में मज़हब। एक बार जन तंत्र के मताधिकार का प्रयोग एकजुट होकर करने की ज़रुरत है ताकि अवसरवादी भ्रष्ट नेताओं को परास्त किया जा सके।

No comments:

Post a Comment