Thursday, September 6, 2012

आरक्षण में आरक्षण घोर असंवैधानिक है

संघीय सरकार ने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार विशेषतया कोलगेट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए पूर्व से आरक्षित नौकरियों में प्रोन्नति के मामले में  भी आरक्षण देने सम्बन्धी  संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव संसद में लाकर विधि आधारित शासन को नष्ट-भ्रष्ट करने का कुत्सित प्रयास किया है / भारतीय जनता पार्टी भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं कर रही है / भाजपा यह समझती है कि समाज को बाँट कर वह सत्ता में आयेगी तो यह उसकी भयंकर भूल है / यु पी के चुनाव से उसे सबक लेना चाहिए / यदि भाजपा ने हिन्दू समाज को विभक्त करने का प्रयास किया तो राजनितिक मानचित्र से ही वह लुप्त हो जाएगी / विश्वनाथ प्रताप सिंह ने भी आरक्षण-गणित का भ्रामक प्रतिशत निकाल कर दीर्घ कल तक सत्ता में रहने का स्वप्न पाल रखा था / हश्र उनका और उनकी पार्टी का जो हुआ वह देश के सामने है / आरक्षण ने देश को कुशासन और भ्रष्टाचार ही दिया है / आरक्षण के रहते न्याय एवं विधि का शासन कभी लागू नहीं हो सकता / देश में निर्धनता मिटाने का प्रयास होना चाहिए / गरीबों का सशक्तिकरण अनिवार्य है / इसमें जाति और धर्म कहाँ से आता है ?

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