Wednesday, July 4, 2012

समर-विशेषज्ञ ब्रह्मा शेलानी का  लेख हाल ही में एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित हुआ था/ शेलानी ने अपने लेख में पूर्ण विवरण देकर बताया है कि कैसे हमारे देश के हुक्मरानों ने राष्ट्र-हित की बलि देकर हमारे नदी जल-संसाधनों  का ८०% भाग पकिस्तान को असंतुलित तथा अन्यायपूर्ण समझौते में दे डाला/ १९९६ के समझौते में तो गुजराल ने देश के हितों की अवहेलना करते हुए बांग्लादेश के साथ गंगा-जल का इस कदर बंटवारा किया कि गंगा ही लुप्त होने के कगार पर है / ममता बनर्जी को यह श्रेय जाता है कि तीस्ता समझौते को नकार कर मनमोहन सिंह द्वारा  बांग्लादेश को अनुचित हिस्सा देने के मनसूबे को नाकाम करते हुए अपने राज्य तथा देश को एक और गैरवाजिब समझौते से बचा लिया / 


शेलानी ने १९५४ में तिब्बत पर भारतीय अधिकार त्यागने तथा चीन के समक्ष घुटने टेकने और  बाद में १९६२ के चीन से अपमानजनक पराजय का भी जिक्र किया है /  तिब्बत में हमारे कई नदी- स्रोत  हैं जिन्हें अब चीन नियंत्रित करता है /आज भी अरुणाचल, उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश में उसकी घुसपैठ जारी है / अक्साई चीन तो उसने हड़प ही लिया है / १९७१ के इंडो-पाक युद्ध  में लाहौर तक कब्ज़ा करने के बाद और एक लाख पाक सैनिक बंदी बनाने के बावजूद हम पूरे कश्मीर को वापस नहीं ला सके / हकीक़त है कि हमारे मुल्क को आज भी निष्ठावान एवं समर्पित नेतृत्व की आवश्यकता है / दुर्भाग्य है कि हमारे देश के इतिहास में देश के साथ विश्वास-घात करने वाले लोग महानायक हैं/ आज देश के युवा दिग्भ्रमित हैं / 

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